| Wednesday , Sep 02, 2009 | परमेश्वर का अनुग्रह तर्क वितर्क, योग विद्या अथवा त्याग-वैराग्य के माध्यम से नहीं जीता जा सकता है। केवल प्रेम से ये संभव है, प्रेम जिसे बदले में कुछ नहीं चाहिए; प्रेम जो सौदेबाजी नहीं जानता है; प्रेम जिसमे खुशी से सभी को प्यार दिया जाता है; और प्रेम जो अटूट है। अकेले प्रेम के द्वारा बड़ी और कई बाधाओं को दूर कर सकते हैं। पवित्रता से ज्यादा प्रभावी कोई ताकत नहीं है और ना ही प्रेम से बढ़कर कोई आनंद है, भगवन की भक्ति से बढ़कर कोई ख़ुशी नहीं है और ना ही समर्पण से अधिक प्रशंसनीय कोई जीत है। ~ बाबा
साई स्मृति | | | |
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