| Monday , Aug 24, 2009 | जैसे हमारे विचार होते हैं वैसे ही हम बनते हैं। लगातार सोचने से हमारे ह्रदय में एक आदर्श छवि अंकित हो जाती है। जब हम अपने मन को लगातार दूसरों द्वारा किये जा रहे बुराई में लगायेंगे तो हमारा मन भी दूषित हो जायेगा। इसके विपरीत, जब हम दूसरों के गुण या अच्छाई पर ध्यान देंगे तो हमारा मन शुद्ध होगा और केवल अच्छे विचार मन में आयेंगे। प्रेम और करुणा से भरे मनुष्य के मन में कोई भी बुरे विचार घुस नहीं सकते हैं। विचार जिससे हमारी प्रकृति(व्यवहार) आकार लेती है, अन्य लोगों के साथ साथ, वे हमें स्वयं को भी प्रभावित करते हैं। ~ बाबा
साई स्मृति | | | |
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