Wednesday, August 26, 2009

Wednesday , Aug 26, 2009

Wednesday , Aug 26, 2009

शिक्षा हमेशा पथ को प्रकाशवान करती है; अज्ञान का अंधकार और संदेह की सांझ इसके दीप्तमान होने के पहले ही गायब जाते हैं। इस प्रकार मन में अच्छे विचार और भावनाओं को विकसित करना आसान हो जाता है और ह्रदय प्रकाशवान हो जाता है। शिक्षा का अंत सिर्फ ज्ञान का संग्रह में नहीं है, इसके द्वारा मनुष्य के व्यवहार, चरित्र और महत्वाकांक्षा में परिवर्तन ही परिणाम है। ज्ञान को दैनिक जीवन में परीक्षण किया जाना चाहिए। मनुष्य को अपने भीतर मौजूद बहुमूल्य विरासत का आभास नहीं है। वह अपने स्वयं के अलावा हर किसी के में दिलचस्पी लेता है। अगर वह केवल अपने स्वयं के बारे में पता कर ले तो वह विशाल शक्ति, चिरस्थायी शांति और असंख्य सुख का धनी हो जायेगा। ~ बाबा


साई स्मृति

No comments:

Post a Comment