| Friday , Aug 28, 2009 | ईश्वर के इस निर्माण के पॉँच पहलु हैं सत्, चित्त, आनंद, रूपा और नामा (अस्तित्व, चेतना, आनंद, रूप और नाम)। प्रथम तीन शाश्वत सिद्धांत हैं, जबकि नाम और रूप क्षणिक होते हैं। सत्, चित्त और आनंद; नाम और रूप के आधार हैं। लोग अपनी भावनाओं के आधार पर भगवान को विभिन्न नाम देते हैं। वे सत्, चित और आनंद के तीन मुख्य सिद्धांतों को भूलकर, नाम और रूप को ही एकमात्र वास्तविकता मन बैठते हैं। हकीकत में नाम और रूप स्थायी नहीं है लेकिन लोग नाम और रूप में डूब कर सत्, चित और आनंद के शाश्वत सिद्धांतों की अनदेखी करते हैं। नतीजतन नाम और रूप में मोहित होकर ईश्वर शक्ति को भूल जाते हैं। ~ बाबा
साई स्मृति | | | |
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